tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post4478000792319102382..comments2023-06-10T17:38:48.622+05:30Comments on भदेस भारत: क्या तसलीमा और फिदा हुसैन एक समान हैंभुवन भास्करhttp://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-70044888571446050642007-11-27T23:02:00.000+05:302007-11-27T23:02:00.000+05:30हिंदुस्तान में भावनाओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...हिंदुस्तान में भावनाओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है। मकबूल फिदा हुसैन ने अश्लील तस्वीरों के ज़रिये जो कुछ किया वो भावनाओं के साथ खिलवाड़ था जबकि तसलीमा ने अपनी किताब में सच्चाई बयां की हैं। तथाकथित सेकुलर पत्रकार की टिप्पणी उनकी मजबूरी है या फिर उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति, पता नहीं.......Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-19471331611056356562007-11-27T12:23:00.000+05:302007-11-27T12:23:00.000+05:30भाजपा का लेवल तो सरनेम देखते ही लगा दिया जाता है ...भाजपा का लेवल तो सरनेम देखते ही लगा दिया जाता है . द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदी , तिवारी, त्रिपाठी, झा , शर्मा , मिश्रा, मिश्र / बहुत कुछ ही नही हमने सबकुछ राजनीतिज्ञों के हाथ सौप दिया है / राज जिससे मिले वह नीति अपनाई जाती है . अतः किसी ख़ास वर्ग की भावनाओं के साथ बलात्कार होता देखना इनकी मजबूरी ही नही आदत बन गई है . भारत माँ , सरस्वती माँ का चीर हरण मकबूल ने किया समर्थन हिंदू समुदाय के लड़के और लड़किया कला के नाम करते रहे . नग्नता का समर्थन नग्न होकर किया जाना चाहिए था .पर सभी को कपडे मे<BR/>देखकर मन दुखी हो गया . आज केवल गन्दी चीजों के निर्माता से ज्यादा पापी उसके समर्थक को माने जाने की जरूरत है . जबतक समर्थन का विरोध दर्ज नही होगा .तबतक नंगापन का खेल जारी रहेगा . मकबूल का <BR/>दिमाग ख़राब हो सकता है उसके समर्थक का भी ख़राब हो माने जाने लायक नही . <BR/><BR/>लोग बाम माने या दक्षिण पंथी हमे अपनी बात पूरे ताकत से रखनी होगी . हमारे पास तर्क है . कोई आए बहस करे . ऑफिस मे एक कादिरी मिया हैं वे गायत्री मंत्र रोज पढ़ते हैं. एक और सहयोगी असलम भाई खुश तब होते हैं जब पाक के हाथ भारत मैच हार जाता है .संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-5374598670002688232007-11-27T06:11:00.000+05:302007-11-27T06:11:00.000+05:30तथाकथित सेक्युलर पत्रकारों ने जिस तरह से देश में ड...तथाकथित सेक्युलर पत्रकारों ने जिस तरह से देश में डरावना माहौल पैदा किया है। उसमें ये सच्चाई है कि दक्षिणपंथी किसी भी बात पर कुछ कहना बेबाक जर्नलिज्म होता है लेकिन, वामपंथ की घटिया से घटिया हरकत पर भी ऊंगली उठाने के लिए पहले दक्षिणपंथ से कोई गंदी मिसाल साथ जोड़नी पड़ती है। यही वजह है कि इन्हें एक छोटे से तबके में भले सम्मान से देखा जाए। सामाजिक स्वीकार्यता तो नहीं ही मिल पाती है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.com