tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post5775324030080618066..comments2023-06-10T17:38:48.622+05:30Comments on भदेस भारत: RSS सरसंघचालक को एक भारतीय की चिट्ठीभुवन भास्करhttp://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-71526565220926895202008-05-14T14:51:00.000+05:302008-05-14T14:51:00.000+05:30Bhuwan,you are perfectly right in choosing the adr...Bhuwan,<BR/><BR/>you are perfectly right in choosing the adressee. I am really happy seeing that people are taking this issue very seriously even while commenting on your blog. But making personal comments is not something encouraging or appreciated. <BR/><BR/>Keep putting good stuff.<BR/><BR/>manishManish Pathakhttps://www.blogger.com/profile/14273689132297065249noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-12220681166021492342008-05-13T22:16:00.000+05:302008-05-13T22:16:00.000+05:30IAEA और अमरीकी सरकार/विश्वविद्यालयों की साईट पर म...IAEA और अमरीकी सरकार/विश्वविद्यालयों की साईट पर मुझे विश्वास नहीं. विकी पीडिया पर कोई डेटा नहीं मिला. मुझ अनपढ़ को अभी तक कोई निष्पक्ष साईट ईकोलोजिकल और इकोनोमिक डेटा के साथ परमाणु ऊर्जा का समर्थन करती नहीं दिखी. पर कुछ साइट्स मैंने देखीं, इनकी जानकारी ज़रूर सही तथ्यों पर आधारित है:<BR/>http://lairdofglencairn.spaces.live.com/Blog/cns!FA29A59CC6777652!738.entry<BR/>www.greenpartywestsussex.co.uk/nuke.htm <BR/>www.greenpeace.org/international/press/reports/nuclear-power-unsustainable <BR/>www.million-against-nuclear.net/background/6reasons.htm<BR/>www.wwf.org.uk/core/about/cymru_0000004724.asp<BR/><BR/>शायद इन्हे पढ़कर कुछ सदबुद्धि आए, पर उम्मीद कम है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-3098949860955531052008-05-13T20:14:00.000+05:302008-05-13T20:14:00.000+05:30@ श्रीमान विचार कुमार:१. दुश्मन विरोध कर रहा है इस...@ श्रीमान विचार कुमार:<BR/><BR/>१. दुश्मन विरोध कर रहा है इसलिए हम समर्थन नहीं कर रहे. मूल सवाल यह है कि दुश्मन आख़िर विरोध कर क्यों रहा है. इसीलिए ना कि ये करार भारत के हित में है. कोई और कारण आपको पता हो तो बताइए. <BR/><BR/>इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद जोर्ज बुश जब पाकिस्तान गए थे तो मुशर्रफ ने उनके सामने मांग रखी थी कि ठीक ऐसा ही समझौता अमरीका को पाकिस्तान के साथ भी करना चाहिए. मगर उन्होंने वहां लोकतंत्र ना होने का कारण बताकर दो टूक इनकार कर दिया.<BR/><BR/>२. प्रकृति का विनाश फोस्सिल फ्यूल्स ज्यादा करते हैं जिन्हें आप अपने वाहन में धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. परमाणु ऊर्जा की खूबी है कि यह उस तरह का पर्यावरण ह्रास नहीं करती क्योंकि इसमें ग्रीन हॉउस गैसों का उत्पादन नहीं होता. न्यूक्लीयर वेस्ट की समस्या का बेहतर उपाय खोजने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं.<BR/><BR/>३. सर्च का एक बार प्रयास करके तो देखें. कोई हाई स्कूल का विद्यार्थी पास हो तो मदद कर देगा. लेकिन कोई सच्चाई जानना ही ना चाहे तो भगवान भी मदद नहीं कर सकते.<BR/><BR/>४. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जियो-थर्मल ऊर्जा के नाम आपने सुन रखे होंगे मगर इनकी वास्तविक उत्पादकता कितनी है ये भी जानते हैं? ये सब केवल सप्लीमेंट्री उपाय हैं वो भी हर जगह सम्भव नहीं.<BR/><BR/>५. होशियारी और होशियारों के छुट्टे घूमने के बारे में आपके विचार सच्चे जान पड़ते हैं. तभी आपने इस चीज को हासिल करने को ज्यादा तवज्जो नहीं दी लगती है.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-2381341496139432332008-05-13T18:29:00.000+05:302008-05-13T18:29:00.000+05:30दुश्मन जो भी करे ज़रूरी नही की हमें उसका उल्टा ही ...दुश्मन जो भी करे ज़रूरी नही की हमें उसका उल्टा ही करना चाहिए.................. हम समर्थन करेंगे हमारी मरजी पर दुश्मन विरोध कर रहा है सिर्फ़ इसीलिए समर्थन करना सही नहीं है <BR/>और पर्यावरण/ प्रकृति को बचने की बात करना क्या 'खबत्पना' है? हर पढ़ा लिखा यही सोचता है आजकल, फ़िर तो दुनिया का भगवान भी कुछ नहीं बिगड़ सकता (बचेगी नहीं तो बिगडेगा क्या खाक)<BR/>"ज़रा इंटरनेट पर सर्च करके देख लें, पूरी दुनिया परमाणु ऊर्जा की ओर एक बार फिर उन्मुख होने का प्रयास कर रही है. बीच के वर्षों में कुछ विरोध के स्वर तीव्र हुए थे मगर अब वो पीछे छूट गया है. आख़िर जब फोस्सिल फ्यूल्स बचेंगे ही नहीं तो ऊर्जा के लिए किसकी शरण में जाना होगा?"<BR/>हम अनपढ़ लोगों को साईट या डेटा दिखा दो महाराज! और फोसिल फ्यूल नही तो सौर ऊर्जा कहाँ गई, पवन ऊर्जा कहाँ गई, जियो-थर्मल ऊर्जा कहाँ गई, नेनो-टेक पिको-टेक में विकास नहीं होगा क्या (जिससे एनर्जी-एफिसिएंसी ९८%+ तक पहुच सकेगी)<BR/>याद रखो, दुनिया में तुम्ही सबसे होशियार नहीं हो, तुमसे ज़्यादा जानकर आजकल छुट्टे घूमते हैं, कोई चिल्लर का भाव नहीं देता.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-15779637545436619782008-05-13T13:53:00.000+05:302008-05-13T13:53:00.000+05:30सौ बात की एक बात, भारत को बिजली चाहिए..चाहिए और चा...सौ बात की एक बात, भारत को बिजली चाहिए..चाहिए और चाहिए ही.<BR/><BR/><BR/>फिर विकल्प है ही कितने?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-60453159377962220092008-05-13T11:55:00.000+05:302008-05-13T11:55:00.000+05:30@महाशक्तिआपकी सलाह काफी अच्छी है। दोनों ई-मेल उपलब...@महाशक्ति<BR/>आपकी सलाह काफी अच्छी है। दोनों ई-मेल उपलब्ध कराने का धन्यवाद।भुवन भास्करhttps://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-44815751734920558982008-05-13T11:32:00.000+05:302008-05-13T11:32:00.000+05:30घोस्ट बस्टर ने मेरे ख्याल से हर्षवर्धन जी का इंतजा...घोस्ट बस्टर ने मेरे ख्याल से हर्षवर्धन जी का इंतजार खत्म कर दिया है। दरअसल 'विस्फोट' और 'विचार' के विचारों का मैं सम्मान करता हूं, लेकिन फिर वही कहना चाहता हूं कि इस प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में पहले ही इतने सारे दिग्गज लिख चुके हैं, कि हम या आप केवल उनके कुछ उद्धरण ही दे सकते हैं। जिससे मसला फिर वहीं पर टिका रहेगा जहां वह इस समय है। <BR/>इस समझौते से सब कुछ भारत के पक्ष में होगा, ऐसा न मैं मानता हूं और न ही किसी और को मानना चाहिए। क्योंकि कोई भी समझौता कुछ पाने और कुछ छोड़ने के मूल सिद्धांत पर टिका होता है। देखना यह चाहिए कि दोनों का संतुलन कैसा है। <BR/>आप सबको पता होगा कि इस समझौते के कुछ गुप्त दस्तावेज ऐसे हैं, जो किसी के भी सामने जाहिर नहीं किए गए हैं। फिर किसी का भी यह दावा करना कि उसकी राय ही सही है, उचित नहीं होगा। इसीलिए मैं भी यह दावा नहीं कर रहा। मेरा तो बस एक ही तर्क है कि अगर इसका विरोध करने वाले चीन, पाकिस्तान, वामपंथी और क्षुद्र राजनीतिक ताकतें हैं और समर्थन करने वाले अब्दुल कलाम, के नारायणन, जसजीत सिंह, सी राजामोहन और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र हैं, तो हमें इसे देश के लिए फायदेमंद ही मानना चाहिए।भुवन भास्करhttps://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-21069993252373038382008-05-13T08:00:00.000+05:302008-05-13T08:00:00.000+05:30संबोधन चाहे जिस को भी किया हो पर लिखा आपने बेहतरीन...संबोधन चाहे जिस को भी किया हो पर लिखा आपने बेहतरीन है. इस करार का सबसे कड़ा विरोध करने वाले हैं:<BR/>१. चीन<BR/>२. पाकिस्तान<BR/>३. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टियाँ<BR/><BR/>इसी से समझ में आ जाता है की यह करार भारत के कितने हित में है. खेद की बात है कि भाजपा भी छोटे राजनीतिक कारणों के चलते करार को समर्थन नहीं दे पाई.<BR/><BR/>विस्फोट की बात से नितांत असहमति है. ज़रा इंटरनेट पर सर्च करके देख लें, पूरी दुनिया परमाणु ऊर्जा की ओर एक बार फिर उन्मुख होने का प्रयास कर रही है. बीच के वर्षों में कुछ विरोध के स्वर तीव्र हुए थे मगर अब वो पीछे छूट गया है. आख़िर जब फोस्सिल फ्यूल्स बचेंगे ही नहीं तो ऊर्जा के लिए किसकी शरण में जाना होगा?<BR/><BR/>वर्तमान में भी हज़ारों परमाणु विजलीघर दुनिया भर में काम कर रहे हैं. १९८६ में चेरनोबिल के बाद से कोई दुर्घटना नहीं हुई है. सुरक्षा के लिहाज से कोई ख़तरा अब नज़र नहीं आता. न्यूक्लियर वेस्ट डिस्पोजल का और बेहतर उपाय ढूँढने की ज़रूरत है ना कि खब्त्पने के चलते बेमतलब के विरोध में लगे रहने के.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-75273407495705904162008-05-13T05:41:00.000+05:302008-05-13T05:41:00.000+05:30चिट्ठी बहुत सही आदमी को लिखी है लेकिन, संकट यही है...चिट्ठी बहुत सही आदमी को लिखी है लेकिन, संकट यही है कि सही आदमी भी किसी विषय पर अब पहले जैसा कितना सही सोच रहे हैं। <BR/>और, दूसरे सवाल जो, टिप्पणियों में आए हैं उनके जवाब अब तक कहीं से नहीं आए हैं।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-71212632800960311572008-05-13T00:32:00.000+05:302008-05-13T00:32:00.000+05:30अच्छी पोस्ट और सही व्यक्ति को चुना है उक्त मेल...अच्छी पोस्ट और सही व्यक्ति को चुना है <BR/><BR/>उक्त मेल पर आप अपनी बात भेज सकते हे editor@panchjanya.com,<BR/>panch@nde.vsnl.net.inPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-79660850467665672742008-05-12T23:14:00.000+05:302008-05-12T23:14:00.000+05:30आपके सदाशय को प्रणाम् …। किन्तु मेरे खयाल से आपने ...आपके सदाशय को प्रणाम् …। किन्तु मेरे खयाल से आपने सुदर्शन जी से कुछ ज्यादा उम्मीद पाल ली है। RSS के भीतर भी जब इस विषय पर बहस हुई होगी तो अनेक मत-मतांतर सामने आये होंगे, क्योंकि इस जटिल विषय पर गैर-राजनीतिक लोग भी एकमत नहीं हो पाये हैं।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-56604249782699740422008-05-12T15:52:00.000+05:302008-05-12T15:52:00.000+05:30टेक्नोलोजी, अर्थशास्त्र और विदेश नीति की गहराईयां ...टेक्नोलोजी, अर्थशास्त्र और विदेश नीति की गहराईयां छोड़ दें, तो भी सबसे ज़्यादा उठाये जा रहे दो सवालों के जवाब पर सभी विशेषज्ञों के मुंह बंद हैं, पहला जब सारे विकसित देशों में यह प्रौदुगिकी अपनी कम कोस्ट-एफ्फेक्टिवेनेस और हाई मेंटेंनेंस कोस्ट के कारण खारिज की जा रही है, और प्लांट यूरोप/अमेरिका में बंद किए जा रहे हैं तो इन्हे अब विकासशील/गरीब देशों में लगाने का क्या तुक है?<BR/>दूसरा सवाल, की खतरनाक परमाणु कचरे का निपटारा कैसे होगा, विज्ञान के पास अभी तक न्युक्लियर वेस्ट डिस्पोसल का सुरक्षित तरीका नहीं है, फ़िर रेडियो-एक्टिविटी लीकेज से चर्नोब्य्ल जैसी विभीषिका की सम्भावना हमेशा बनी रहेगी. पर्यावरण का सवाल बहुत प्रासंगिक है.<BR/>और कलम एक बहुत ही काबिल इंजिनियर हैं, पर वे ईकोलोजिस्ट नहीं हैं. आप किसी बहुत ही काबिल स्पेस साइंटिस्ट से अपनी ब्रेन सर्जरी तो नहीं कराएँगे न. अपनी फील्ड में प्रवीण विशेषज्ञ दूसरे विषय में भी उतना ही एक्सपर्ट शायद न हो.<BR/>और नेता तो देश बेच कर खा ही रहे हैं, उनके बारे में बात करना ही बेकार है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-80270156113214937112008-05-12T15:45:00.000+05:302008-05-12T15:45:00.000+05:30विस्फोट की राय से सहमत।विस्फोट की राय से सहमत।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-78075151120487244682008-05-12T14:01:00.000+05:302008-05-12T14:01:00.000+05:30बिल्कुल सही आदमी को चिट्ठी लिखी है आपने. वैसे परमा...बिल्कुल सही आदमी को चिट्ठी लिखी है आपने. वैसे परमाणु समझौते पर आपको अपने अध्ययन को थोड़ा और गहरा करके ही राय बनानी चाहिए. कौन क्या कहता है इससे मतलब नहीं है. मतलब इससे है कि वह भारत के कितना हक में है. आपको शायद नहीं मालूम पूरी दुनिया में परमाणु से बिजली बनाने की तकनीकि खारिज की जा रही है. अमेरिका में तो पिछले 35 साल से कोई नया परमाणु बिजलीघर नहीं बना और जर्मनी ने भी तय किया है कि वह अब परमाणु बिजलीघर नहीं बनाएगा. आनलाईन देखना हो तो विस्फोट पर कुछ लेख हैं जिन्हें पढ़ना चाहिए.Anonymousnoreply@blogger.com