tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post96837608114391682..comments2023-06-10T17:38:48.622+05:30Comments on भदेस भारत: 'प्रमाण पत्र' का जुमला फेंकने की बजाय आइए मुद्दों की बात करेंभुवन भास्करhttp://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-15728053883749247152008-08-24T10:23:00.000+05:302008-08-24T10:23:00.000+05:30आपने सही लिखा है.मगर आप अज्ञानी है. आपको नहीं पता ...आपने सही लिखा है.<BR/><BR/><BR/>मगर आप अज्ञानी है. आपको नहीं पता की अगर मुझे बुद्धिजीवि कहलवाना है तो मुझे वे बाते कहनी होगी जो मैं मानता हूँ या न हूँ मगर कहना होता है. भले ही वे देशविरोधी, धर्म विरोधी ही क्यों न हो. <BR/><BR/>कुछ बातें:<BR/><BR/><BR/>हिन्दू हिंसक व बर्बर प्रजा है, मुस्लिम आतंकवाद के लिए वस्तुतः वे ही जिम्मेदार है. <BR/><BR/>कश्मीर पर भारत का जबरिया कब्जा है, कश्मीर को आज़ाद करना चाहिए. <BR/><BR/>देश के संसाधनो पर हर नागरीक का समान अधिकार नहीं है, पहला अधिकार अल्पसंख्यको का है.<BR/><BR/><BR/>सिमी के प्रतिभावान लोगो को पुलिस खामखा परेशान कर रही है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-52462129234869368302008-08-24T05:56:00.000+05:302008-08-24T05:56:00.000+05:30अनिल रघुराज जी नें व्यँग्य किया है एवं दिनेशराय द्...अनिल रघुराज जी नें व्यँग्य किया है एवं दिनेशराय द्विवेदी जी नें समर्थन किया है कि संविधान से सेक्युलरिज्म/पंथनिरपेक्ष शब्द हटा देंना चाहिये-इस सन्दर्भ में यह याद दिलाना चाहूँगा कि २६ जनवरी १९५० को जो संविधान इस देश में लागू किया गया था उसमें सेक्युलर एवं सोसिय्लिस्टिक शब्द,प्रिएम्बिल में नहीं थे। यह दोनों शब्द १९७४ मे संविधान शंसोधन कर बाद में जोड़े गये थे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-75188964834065076872008-08-24T05:19:00.000+05:302008-08-24T05:19:00.000+05:30आप नॆ ठीक ही लिखा है।जिन स्वनामधन्य लोगों को आपत्त...आप नॆ ठीक ही लिखा है।जिन स्वनामधन्य लोगों को आपत्ति है,कृपया बताऎ कि सेक्युलरिस्म जैसा हिन्दुस्तान में है वैसा क्या दुनिया के और किसी मुल्क में भी है? मुसलमान क्या सेक्युलरिस्म के सिद्धान्त को सिद्धन्ततः एवं व्यवहार में मानतें हैं? यदि नहीं तो फिर हिन्दुओं को ही ज़बरन मरवानें के लिए सेक्युलर क्यों बनाए रखना चाह्ते हैं? विगत ६१ वर्षों में देश के दोनों बाजू मुस्लिम देश बन चुके है ऎसी अबुद्धिमत्तापूर्ण चमचियाई बातों से तीसरा बनवानें की तैयारी में हैं। इस्लाम और साम्यवाद में कुछ गहरी समानताएं हैं-दोनों लोकतंत्र में आस्था नहीं रखते+दोनों डिक्टेटरशिप मानते हैं+ दोनों अपनें विस्तारवाद के लिए ख़ूरेजी को ज़ायज मानते हैं+दोनों ढोगी और अवसरवादी हैं,लोकतांत्रिक व्यवस्था में तभी तक झूँठी आस्था दिखाते हैं जब तक सत्ता पर काबिज़ नहीं हो जाते। सेक्युलरिस्ट सत्ता लोलुप एवं कायर होते हैं-सत्ता में बनें रहनें के लिए-बहुसंख्यक मूल आबादी के धर्म,दर्शन,संस्कृति,सभ्यता,बहू बेटियों की इज्जत तक के साथ समझौता करके भी सत्ता में बनें रहनें कि कोशिश में लगे रहते हैं। सत्ता में बनें रहनें की हवश के पीछे कोइ आदर्श नहीं होता, सिर्फ और सिर्फ सत्ता की ताकत का सुख और अधिकधिक धन इकट्ठा करना ही लक्ष्य रह्ता है। खतरा देखते ही देश छोड़नॆ के लिए भी तैयार रहते हैं, सोनिया जी की तैयारी थी सभी जानते है। अर्थात देश भक्त भी नहीं होते। सामान्य सेक्युलर भी अच्छी शिक्षा के नाम पर काँन्वेन्ट में बच्चों को पढ़ायेगा और कोशिश करेगा कि बच्चे विदेशों मे सेटल हों जाएँ,जिससे जरुरत पड़े तो खुद भी खिसक सकें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-22931097288676167662008-08-23T23:55:00.000+05:302008-08-23T23:55:00.000+05:30बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। ये लोगों को बेवजह सांप्...बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। ये लोगों को बेवजह सांप्रदायिक होने का प्रमाण पत्र तो बांटते रहते हैं लेकिन जैसे ही दहशतगर्द मुसलमानों का नाम घनघोर अमानवीय कृत्यों के साथ जुड़ता है तो चिर-परिचित जुमला उछाल देते हैं। इन लोगों के लिए सरायमीर का अबू बशीर की गिरफ्तारी शहादत है लेकिन आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए कर्नल के.के. जोसफ शहीद नहीं हैं। भगवान इनको बुद्धि दे।प्रभाष कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/17748296898078525480noreply@blogger.com