tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post7254884715261239670..comments2023-06-10T17:38:48.622+05:30Comments on भदेस भारत: इशरत और मोदी, दोनों निर्दोष क्यों नहीं हो सकते?भुवन भास्करhttp://www.blogger.com/profile/04695143329018446492noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-70490464201923511152010-05-20T13:20:04.648+05:302010-05-20T13:20:04.648+05:30RAKESH SINGH JI NE SAHI KAHA HAIRAKESH SINGH JI NE SAHI KAHA HAIसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-2657103435087998812009-09-09T19:53:54.643+05:302009-09-09T19:53:54.643+05:30भुवन जी इसे कहते हैं विश्लेषण | ऐसा विश्लेषण हिंदी...भुवन जी इसे कहते हैं विश्लेषण | ऐसा विश्लेषण हिंदी मैं बहुत कम ही देखने को मिलता है | हलाकि अंग्रेजी मैं भी अब सही विश्लेषण तो आते नहीं, सभी के सभी बस secular इमेज के जाल मैं फसे हैं और उन्हें पता भी नहीं चल रहा है की वो किस जाल मैं फसे हैं | <br /><br />नरेन्द्र मोदी की बात करें तो मुझे लगता है भारत के इतिहास मैं वो सर्वश्रेस्ट मुख्यमंत्रियों मैं से एक है | उनके विकाश के प्रति प्रतिबद्धता को दुनिया मानती है | ये हमारा दुर्भाग्य ही है की ऐसे विकाश पुरुष को हमेशा विवादों मैं घसीट कर गुजरात के विकाश के कार्य मैं बाधा डाल रहे हैं | देखिये मोदी १००% perfect नहीं हैं और कोई इन्शान हो भी नहीं सकता | पर एक बात तो है ही की उनकी गुजरात के प्रति समर्पण भाव से सेवा ने गुजरात को भारत के बाकी बचे राज्यों के मुकाबले वहां ला खडा किया है जहाँ कोई राज्य निकट भविष्य मैं पहुंचता हुआ नहीं दीखता |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-55540929144633493412009-09-09T18:26:00.613+05:302009-09-09T18:26:00.613+05:30भुवन जी, ललमुंहे बंदरों को यह बात नहीं समझ में आएग...भुवन जी, ललमुंहे बंदरों को यह बात नहीं समझ में आएगी. वो तो पैदा ही मोदी का विरोध करने के लिए हुए हैं. कभी-कभी तो यह ख्याल आता है कि अगर मोदी सी० एम0 न बने होते तो इनका तो जनम ही अकारथ हो जाता. मोदी ने तो तार लिया इनको.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-69816948836847424502009-09-09T18:23:08.896+05:302009-09-09T18:23:08.896+05:30बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने. ज्यादातर लोग एक्सट्री...बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने. ज्यादातर लोग एक्सट्रीम पर रहना पसंद करते हैं. या तो इस तरफ या फिर उस तरफ. लेकिन मध्यमान भी तो कुछ है.<br /><br />गुजरात पुलिस मुंबई जाकर चार लोगों का अपहरण कर लेती है, यह बात समझ में नहीं आती. ऐसा करना कितना आसान है? या फिर कितना मुश्किल? केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि; "इशरत जहां और उनके साथी आतंकवादी थी." लेकिन देखने वाली बात यह है कि तमांग की रिपोर्ट के आधार पर मीडिया या फिर ओपिनीयन मेकर्स द्बारा यह बात फैलाई जा रही हैं कि; "इशरत जहां बेक़सूर थीं. वे आतंकवादी नहीं थीं."<br /><br />मुद्दा केवल फर्जी मुठभेंड को लेकर है. मुद्दा यह कतई नहीं है कि ये चारों आतंकवादी थे या नहीं? लेकिन दुर्भाग्यवश यह बात फैलाई जा रही है कि ये चारों बेक़सूर थे. और यही बात आम आदमी के विश्वास को डिगा देती है. वह विश्वास जो उसे न्यायपालिका और लोकतंत्र के तमाम और स्तंभों पर करना चाहिए.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1400721984689425484.post-41777098585605453462009-09-09T18:03:01.434+05:302009-09-09T18:03:01.434+05:30अच्छा लिखा है. कोई विचार करेगा?अच्छा लिखा है. कोई विचार करेगा?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.com