गुरुवार, 9 जनवरी 2014

प. बंगाल की राह पर दिल्ली

दिल्ली में कुछ अद्भुत हो रहा है- चुनाव प्रचार के दौरान एफएम पर अरविंद केजरीवाल दिल्ली वालों को बार-बार, कई बार यह समझाते रहे। चुनाव परिणाम आया और सबको पता चला कि वह अद्भुत क्या था, जो हो रहा था। चुनाव खत्म हुए, परिणाम आए, साल भर पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। देश की राजधानी में क्रांति के एक नए युग का सूत्रपात हुआ। उसके बाद शुरू हुआ परिवर्तन का दौर। लेकिन इस दौर के साए में दिल्ली में कुछ और भी अद्भुत घटना शुरू हुआ है, जो अब तक लोगों की चेतना में नहीं आ सका है।

दिल्ली और कोलकाता का वैसे भी बहुत पुराना संबंध रहा है। दिल्ली पर कब्ज़े की ईस्ट इंडिया कंपनी की कोशिशों को 1757 में जिस पलासी की लड़ाई से पहली सफलता मिली थी, वह कोलकाता से केवल 150 किलोमीटर पर है। दिल्ली से पहले 1911 तक ब्रिटिश भारत की राजधानी पर कोलकाता ही हुआ करती थी। लेकिन ख़ैर ये घटनाएं तो महज़ इत्तेफाक़ हैं। एक और इत्तेफाक़ यह भी है कि पश्चिम बंगाल से ढाई दशकों के बाद बेदखल हुई सीपीएम के मुखिया प्रकाश करात आम आदमी पार्टी से बहुत खुश हैं। करात साहब ने कहा है कि आप ने वह कर दिखाया है, जो सीपीएम नहीं कर सकी। वह कम्युनिस्ट राजनीति से मध्यम वर्ग को जोड़ने की बात कर रहे हैं।

लेकिन केजरीवाल की अगुवाई में आप ने दिल्ली में कम से कम एक अद्भुत घटना की शुरुआत तो कर ही दी है, जो पूरी दनिया में कम्युनिस्ट पार्टियों के शासन का मुख्य तरीक़ा है। प. बंगाल में सीपीएम ने यही कर के 25 सालों तक सामाजिक आतंकवाद के साए में अपनी सत्ता कायम रखी। और अब दिल्ली उस कम्युनिस्ट वे ऑफ गवर्नेंस का अगला प्रयोगशाला साबित होने जा रही है।
कुछ घटनाओं पर ग़ौर फरमाइए। जब दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ मुफ्त पानी योजना की घोषणा कर रहे थे, तब उनके ठीक बगल में आम आदमी पार्टी के बड़बोले नेता कुमार विश्वास बैठे थे। क्यों? वह सरकार की घोषणा थी, या पार्टी का कार्यक्रम था? 

मेरे एक मित्र जो इंडिया टुडे में रिपोर्टर हैं, उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट में लिखा है कि सरकारी विज्ञप्तियां आम आदमी पार्टी के कार्यालय से जारी की जा रही हैं। क्यों? सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्र सरकार की योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत चल रही अस्पताल प्रबंधन सोसाइटीज, जिन्हें रोगी कल्याण समिति कहा जाता था, उन्हें भंग कर दिया है और अब अस्पतालों की जवाबदेही तय करने की जिम्मेदारी आप के कार्यकर्ताओं को दे दी गई है (इंडियन एक्सप्रेस न्यूजलाइन, 7 जनवरी)।

प्रदेश के कानून मंत्री सोमनाथ भारती सभी ज़िला जजों की बैठक बुलाना चाहते हैं। चलो मान लिया कि नए हैं, उन्हें पता नहीं था कि ये जज, सरकार को नहीं बल्कि दिल्ली हाई कोर्ट को जवाबदेह हैं। लेकिन मुख्य सचिव (कानून) ए एस यादव ने जब यही बात उनको बताई तो उनको गुस्सा आ गया और उन्होंने यादव को पुराने शासन का पैरोकार करार कर उनके खिलाफ मीडिया में बयानबाज़ी शुरू कर दी। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 120 आप कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है, जिसने कल सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया (टाइम्स ऑफ इंडिया, 8 जनवरी)।

यह शासन का वही तरीक़ा है, जो हमने प. बंगाल में 25 साल तक देखा है। इस तरह के शासन में डीएम, पार्टी के ज़िला अध्यक्ष; बीडीओ, पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष; कमिश्नर (राज्यों में डीजीपी) पार्टी के राज्य अध्यक्ष इत्यादि के प्रति जवाबदेह होते हैं। लोगों को अपनी दैनिक शासकीय ज़रूरतों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के पास जाना होता है। किसी मोहल्ले की पार्टी इकाई तय करती है कि उस मोहल्ले में बनने वाले मकान के लिए ईंट, सीमेंट, बालू और सरिये किस दुकान से खरीदे जाने चाहिए। पार्टी इकाई ही किसी जगह होने वाले स्थानीय निर्माण के ठेके पर फैसला करती है और वही राशन कार्ड से लेकर वोटिंग कार्ड बनवाने के लिए सिंगल विंडो का काम करती है।


पिछले दो हफ्तों में आम आदमी पार्टी का शासन देखने के बाद मुझे अब यह साफ समझ में आने लगा है कि जिन मोहल्ला समितियों को सारे फंड और अधिकार देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण का मॉडल अरविंद केजरीवाल साहब ने पेश किया है, उसका स्वरूप दरअसल क्या होने वाला है। भ्रष्टाचार विरोध का मुखौटा लगाकर कम्युनिस्ट शासन ने जिस तरह दिल्ली में अपना झंडा गाड़ा है, वह ख़तरनाक और डराने वाला है। उम्मीद की किरण केवल यह है कि दिल्ली, प. बंगाल नहीं है और इसलिए आप के कम्युनिज्म से समाजवाद का मुखौटा उतरने के लिए शायद ढाई दशकों का इंतज़ार नहीं करना होगा। 

3 टिप्‍पणियां:

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

बिलकुल धारदार और सटीक विश्लेषण।

Ramakant Singh ने कहा…

आप को चरों खाने चित्त गिरने का पूरा अवसर दें
और वैसे भी ये मूर्खों से घिरे हैं ज्यादा देर नहीं लगेगी
बेहतर हो इन के क्रिया कलाप पर कोई टिपण्णी न करें
ताकि कोई भी सुधर की गुंजाईश न मिले

Alpha Heater Reviews ने कहा…

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