शनिवार, 17 नवंबर 2007
पश्चिम बंगाल का तालिबान राज
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नंदीग्राम में वामपंथी नरपिशाचों की कारस्तानियों पर बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है। लगता है कि क्या इस पर अब भी कुछ कहने को बाकी है। तथ्यों की दृष्टि से शायद नहीं। लेकिन भावनाओं की दृष्टि से बहुत कुछ। मन होता है चीखूं। गला फाड़ कर रोउं और दीवार पर सिर दे मारूं। नंदीग्राम की बलत्कृत माओं, बहनों और बेटिओं के फटते ह्रदय की पीड़ा और सैकड़ों किसानों के जले हुए घरों और मिट्टी हो चुकी जिंदगी भर की उनकी कमाई का विलाप। तिस पर पूरी दुनिया के गरीबों, मजलूमों, बेसहारों और मेहनतकशों की रहनुमाई करने का दावा करने वाले वामपंथियों की सरकार के मुखिया का निर्लज्ज अट्टहास। सुना आपने क्या कहा है, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने।
मुख्यमंत्री के मुताबिक अपनी ज़मीन बचाने के लिए पिछले साल भर से संघर्ष कर रहे नंदीग्राम के किसानों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया गया है। यानी क्योंकि वामपंथी गुंडों को मलेशिया के सलीम ग्रुप के स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के खिलाफ चल रहे आंदोलन के कारण गांव छोड़ना पड़ा था, तो अब उन गुंडों का ये पवित्र राजनीतिक कर्तव्य है कि वे राज्य सरकार की मदद से उन सभी किसानों के घर जला दें, उनपर पुलिस की वर्दी में गोलियां चलाएं, उनकी बहनों, बेटियों का बलात्कार करें और उन्हें गांव से बाहर कर दें।
आज के इंडियन एक्सप्रेस में सतेनगाबरी-रानीचौक सीपीएम लोकल कमेटी के एक गुंडे (सचिव) ब्रजमोहन मंडल का ज़िक्र है, जो सीना तान के कह रहा है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस के सभी उजड़ चुके गांववालों का स्वागत है, लेकिन भूमि उच्छेद समिति के 12 लोगों की लिस्ट जारी किए गए हैं, जिन्हें जिंदगी भर गांव में नहीं आने दिया जाएगा। जैसे कि पश्चिम बंगाल की ज़मीन उसके बाप की हो।
बुद्धदेव समेत तमाम वामपंथियों का कहना है कि नंदीग्राम पर अपना कब्ज़ा वापस पाने के लिए ही उन्होंने वहां हैवानियत का नंगा नाच किया है। जी हां, यही है कम्युनिस्टों का असली चेहरा। तालिबान का नास्तिक संस्करण हैं ये। नहीं तो लोकतांत्रिक भारत में किसी गांव, ज़िले या राज्य पर कब्ज़े का क्या मतलब? क्या पश्चिम बंगाल अफ़गानिस्तान, इराक या पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम सीमावर्ती प्रांत का कोई कबीला है, जिस पर कब्ज़े के लिए इन नरपिशाचों ने एक अबला की योनी पर गोली मारी, दूसरी एक औरत का बलात्कार कर उसकी योनी में छड़ घुसेड़ दिया और एक अन्य तापसी मलिक के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसे जलती भट्ठी में झोंक दिया। पुलिस की वर्दी पहने वामपंथी गुंड़ों के निहत्थे किसानों पर गोलियां चलाने की बात तो सीबीआई ने भी कही है।
दरअसल नंदीग्राम ने पश्चिम बंगाल में पिछले 30 सालों से चल रहे तालिबान राज की पोल खोल दी है। कभी तृणमूल कॉन्ग्रेस के समर्थक रहे मानिक मैती का कहना है, "अगर मैंने उनका झंडा उठाने से इंकार किया और उनकी रैली में नहीं गया, तो मैं और मैरा पूरा परिवार एक ही रात में खत्म हो जाएंगे।"(Indian Express, 15-11-07)
यही राज है पश्चिम बंगाल में तीन दशकों से चल रहे वामपंथियों के अखंड राज का।
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