मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

'गेट वेल सून' मिस्टर रामादौस


एम्स के डायरेक्टर पी वेणुगोपाल को आखिरकार स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामादौस ने धोबीपाट दे ही दिया। लेकिन क्या सच में ये रामादौस या उनकी यूपीए सरकार के लिए जश्न लायक जीत है। कौन जाने, शायद इस सरकार को ऐसा लगता भी हो, लेकिन मुझे तो लगता है कि ये इस सरकार के लिए शर्म है। 110 करोड़ लोगों की सरकार और उसका सर्वशक्तिमान स्वास्थ्य मंत्री- पिछले साल भर से एक अस्पताल के डायरेक्टर को निपटाने में लगे थे। जैसे रामादौस ने इस देश की करोड़ों जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नहीं बल्कि एम्स को एक नया डायरेक्टर देने के लिए ही स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान संभाली हो।

5 सांसदों की पार्टी के इस मंत्री से उच्चतम न्यायालय ने जो सवाल पूछा है, दरअसल वो पूरे देश (उन लोगों को छोड़कर, जिन्होंने अपनी निष्ठा किसी एक पार्टी के पास गिरवी रख दी है) का सवाल है। क्या डॉक्टर वेणुगोपाल जैसे वरिष्ठ और सम्माननीय व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए? एमबीबीएस की डिग्री का तमगा लगाकर स्वास्थ्य मंत्री बने रामादौस को अगर योग्यता और अनुभव की कसौटी पर कसा जाए तो वे डॉ. वेणुगोपाल के सामने दो कौड़ी के भी नहीं ठहरेंगे। लेकिन जिस तरह का निर्लज्ज व्यवहार उन्होंने और उनकी धृतराष्ट्र सरकार ने डॉ. वेणुगोपाल के साथ किया है, वो योग्यता और प्रतिभा के प्रति इस सरकार की मनोवृत्ति की सही तस्वीर पेश करता है। एम्स के डॉक्टरों ने डॉ. वेणुगोपाल के प्रति जो समर्थन दिखाया, वो केवल अपने किसी वरिष्ठ अधिकारी की चापलूसी नहीं हो सकता। खासतौर पर तब जबकि नए डायरेक्टर के पद संभालने के बाद भी डॉक्टरों का ये विरोध प्रदर्शन जारी रहा। डॉक्टर वेणुगोपाल ने खुद डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की, तब जाकर एम्स का कामकाज सामान्य हुआ। इस बीच जो एक घटना कहीं ख़बरों में नहीं आई, वो थी पिछले रविवार को एम्स में ओपीडी का कामकाज होना। मैं सोमवार को एम्स गया था और मैंने जगह-जगह पोस्टर चिपका देखा जिसमें कहा गया था कि डॉक्टर वेणुगोपाल को हटाने के खिलाफ विरोध स्वरूप डॉक्टर रिवर्स स्ट्राइक करेंगे और इसलिए रविवार को ओपीडी का कामकाज आम दिनों की तरह किया जाएगा। साफ है कि पूर्व डायरेक्टर के प्रति एम्स के डॉक्टरों का प्रेम और समर्थन, डॉक्टर वेणुगोपाल के ईमानदार और योग्य प्रशासन की ही एक बानगी है।

मुंबई में एक अन्य मामले में रामादौस के फैसले का विरोध कर रहे डॉक्टरों ने उनकी तस्वीर के आगे फूल रखकर उन्हें 'गेट वेल सून' का संदेश भेजा। वो मामला भले ही एमबीबीएस का कोर्स 6 साल करने के विरोध का हो, लेकिन वेणुगोपाल मामले में अपनी करनी से रामादौस ने साबित कर दिया है कि वो वास्तव में मानसिक तौर पर बीमार हैं और पूरे देश की जनता को अपने स्वास्थ्य मंत्री के लिए यही प्रार्थना करने की ज़रूरत है कि मिस्टर रामादौस 'गेट वेल सून'।

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